Hindi-Poem-गिनती तो हो रही है शरीर की, कितने मरे ? कब गिनती होगी जमीर की, कितने मरे?

Hindi-Poem-गिनती तो हो रही है शरीर की, कितने मरे ?  कब गिनती होगी जमीर की, कितने मरे?



गिनती तो हो रही है शरीर की, कितने मरे ?  कब गिनती होगी जमीर की, कितने मरे?

गिनती तो रही है शरीर की, कितने मरे?

कब गिनती होगी जमीर की, कितने मरे?

कोई तो जोड़कर बताओ कितने जमीर मरे? 

जिसके चलते ना जाने कितने शरीर मरे।

लालच  के खातिर कौन कितने बार मरे?

एक बार मर जाता तो आंखों में आंसू होते।

जब भी देखा क्रूर नजर, वो उतने बार मरे।

ये पाप की दौलत किसको कहां बचा पाया है?

जोड़ लो हाथों की अंगुली पर वो कितने मरे?

गिनती तो हो रही है शरीर की, कितने मरे ?

कब गिनती होगी जमीर की, कितने मरे?

हमीं हम हैं हर जगह सरकार और सिस्टम में

सरकार नहीं संस्कार मरे पर कहते हैं कौन मरे


प्रस्तुति C A  व लेखक श्री अजय कुमार भगत 

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