करीमा बलोच की मृत्यू कनाडा मे वह भी ठीक वेसे हे जेसे पाकिस्तान बलोचिस्तान के नागरिकों की हत्याएँ करवाता हे ।

करीमा बलोच की मृत्यू कनाडा मे वह भी ठीक वेसे हे जेसे पाकिस्तान बलोचिस्तान के नागरिकों की हत्याएँ करवाता हे ।
करीमा बलोच


एसी हत्या पाकिस्तान द्वारा बलोचिस्तान मे होती हे , अब कनाडा मे भी हो रही हे यह चिंता का विषय हे । 

करीमा ब्लोच कनाडा मे रेह रही थी पिछले कुछ दिनो लापता हो गई थी ओर अब उसकी मृत देह पाई गयी हे, इस घटना से संकेत मिलते हे की कनाडा मे कुछ उगरवादी रहते हे ओर वहाँ पर भी उगरवाद हे । यह कोई पहली घटना नहीं हे जब किसी ओर देश मे कोई ब्लोच सामाजिक कार्यकर्ता लापता हो गया हो ओर फिर उसकी मृत देह पाई गई हो । साजिद हुसैन ब्लोच पत्रकार स्वीडन मे रेह रह थे मार्च 2020 मे पहले वह लापता हुए बाद मे उनकी मृत देह के नदी के किनारे पाई गयी , उनके समर्थकों ओर परिवार के सदस्यों का आरोप था की यह आम मृत्यू नहे एक हत्या हे । साजिद हुसैन बलोच की मृत्यू पर पेरिस के पत्रकार संगठनो ने इस को एक हत्या लिखा था । बलोच के सामाजिक कार्यकर्ताओं की हर हत्या के पीछे हमेशा ही पाकिस्तान ओर उसका खूफिया विभाग सक्रिय रहा हे ओर इंटर नेशनल उगरवादी संगठनो से सांठ गांठ कर विदेशो मे उनकी हत्याये  करवा रहा हे । कनाडा जेसे सुरक्षित देश मे एस होगा इसकी आशा नहीं थी परन्तु समाचारो से यही लगता हे की कनाडा मे पाकिस्तान का खूफिया विभाग सक्रिय हे जिस से कनाडा को खतरा हे । 

पाकिस्तान ने धोखे से बलोचिस्तान पर कब्जा कर लिया था । 

करीमा बलोच जेसे प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हो या बलोचिस्तान का कोई भी आम नागरिक जो भी बलोचिस्तान के लिए कुछ भी मांग रखेगा वह पाकिस्तान का सब से बड़ा शत्रु हे । 1947 मे भारत से अलग होने के कुछ समय बाद ही पाकिस्तान ने धोखे से बलोचिस्तान पर कब्जा कर लिया था, बलोचो को धर्म के नाम पर विश्वास दिलाया गया था की सब का एक धर्म हे ओर परिवार की तरहा रहेंगे । पाकिस्तान यह चाहता हे की हर बलोच नागरिक यह मान ले की अब बलोचिस्तान पाकिस्तान का ही भाग हे परन्तु बलोच नागरिक जब पाकिस्तान का अत्याचार देखते हे तो उनसे रहा नहीं जाता ओर इसी बात पर बलोच के लोग पहले गुप चुप अब खुल्लेआम पाकिस्तान का विरोध कर रहे हे । हजारो बलोच पुरुष नागरिक लापता हो जाते हे फिर उनकी मृत देह पाई जाती, ओर इस से सिद्ध हो जाता हे की एक जेसी घटना चाहे वह बलोचिस्तान हो या फिर कनाडा पाकिस्तान ही करवा रहा हे । 

बलोचिस्तान जम्मूकश्मीर का भाग हे । 

1947 से पहले बलोचिस्तान जम्मूकश्मीर का भाग था आज भी उस समय की राजधानी जम्मू मे इसके लिखित प्रमाण मिलते हे,  जिसमे बलोचिस्तान नागरिकों  ने अपना टैक्स जमा करवाया था ओर रसीद दी गयी थी । डोगरा इतिहास मे लिखा हुआ हे सेनापति  जोरावर  सिंह ने जब  गिलगित को फतह किया था उसी समय बलोचिस्तान को भी  फतेह किया था ओर डोगरा राजधानी जम्मू मे गिलगित ओर बलोचिस्तान के नागरिक अपना राज्य टेक्स  1947 तक जमा करवाते रहे हे । पाकिस्तानियों ने भारत से अलग होते ही स्वात ओर सिंध के मुसलमानो को धर्म के नाम पर भड़काया ओर इसमे कुछ अफगानिस्तान के कबीलों को शामिल किया गया ओर जम्मूकश्मीर पर हमला किया था, यह उन दिनो की बात हे जब जम्मूकश्मीर एक स्वतंत्र देश था । पाकिस्तान को उस समय भारत से अलग होने पर धन ओर सेना भी मिली थी जिसका दुरुपयोग कर लोगो को तेयार दिया गया ओर धर्म का नाम लेकर जम्मूकश्मीर पर हमला किया गया । जम्मूकश्मीर के महाराज हरी सिंह को मजबूर होकर भारत मे विलय करना पड़ा फिर भारत की सेना ने मोर्चा संभाला ओर कुछ भाग बचा लिया गया । अब जो यह बाकी का जम्मूकश्मीर का हे भाग मुजाफराबाद गिलगित ओर बलोचिस्तान को खाली करने के लिए पाकिस्तान ने छे माह का समय मांगा था जो आज 71 वर्ष मे भी खाली नहीं किया । अब की सरकार से कुछ समभावनाये जागृत हुई हे आने वाला समय बताएगा की कब यह खाली होगा । 

करीमा बलोच की मृत्यू कनाडा मे वह भी ठीक वेसे हे जेसे पाकिस्तान बलोचिस्तान के नागरिकों की हत्याएँ करवाता हे ।
करीमा बलोच


पाकिस्तान विशेष कर बलोच के पुरुष नागरिकों की हत्याएँ करवाता हे । 

करीमा बलोच एक सामाजिक कार्यकर्ता थी जो पाकिस्तान सरकार का विरोध करती थी, उनका कहना था की बलोचिस्तान ओर पाकिस्तान दो अलग देश हे ओर पाकिस्तान ने बलोचिस्तान पर नाजायज कब्जा करके रक्खा हे । दिन प्रति दिन बलोच नागरिकों पर पाकिस्तान के सरकारी कर्मचारी अत्याचार कर रहे हे , बड़े बड़े पदो पर पाकिस्तान के अधिकारी हे ओर सब से छोटे पदो पर बलोचो को रक्खा जाता हे । बलोचिस्तान के भूमि से निकालने वाले बहुमूल्य पदार्थों को पाकिस्तान बेच कर अपना खज़ाना भर रहा हे ओर बलोचिस्तान के कुछ नहीं कर रहे हे । जो भी इसका विरोध करता हे उसको लापता कर दिया जाता हे बाद मे उनकी मृत देह पाई जाती हे पाकिस्तान विशेष कर बलोच के पुरुष नागरिकों की हत्याएँ करवाता हे । इनहि कारणो से करीमा ब्लोच को बलोचिस्तान मे खतरा लगा तो उसने कनाडा देश मे शरण ली ओर वही से बलोचिस्तान ओर बलोच नागरिकों की सेवा करने लगी थी । 

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