कहानी, सच्चा प्रेम अंत में मिल ही जाता हे।


कहानी, सच्चा प्रेम अंत में मिल ही जाता हे।
कहानी, सच्चा प्रेम अंत में मिल ही जाता हे।

बाबू के लिए उसका परिवार ही सब कुछ है, वह अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकता है। इसी कारण बाबू दिन रात मेहनत करता है और दिन-रात मन लगाकर पढ़ाई भी करता है। साथ में कुछ काम भी करता है जिससे कुछ पैसे भी कमा सके। वह दिन-रात इसलिए कठिन परिश्रम करता है ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ कर सके, बड़ा आदमी बन सके और अपने परिवार देश का नाम रोशन करें बाबू की यही इच्छा थी की अपने मां-बाप को वह ख़ुशी दे सके जो आज तक किसी ने नहीं दी हो। बाबू पत्रकारिता की पढ़ाई करता है साथ ही साथ वह छोटा मोटा काम भी करता है, वह चाहता है कि बहुत बड़ा आदमी बने। उसे अपने जीवन में सफलता मिले, ताकि भविष्य में उस द्वारा उसके परिवार को किसी भी तरह की मुसीबत का दिन न देखना पड़े।

बाबू जिस कम्पनी में खाली समय में काम करता था वहाँ आज उसकी कम्पनी में एक ज्योति नाम की लड़की ने काम पर आना शुरू किया है। बाबू ने जब ज्योति को देखा देखते ही उसको लगा की जेसे विशव की सारी सुंदरता उसमे समा गई हो। बाबू को उससे प्यार हो जाता है पहली नज़र वाला प्यार। ज्योति भी बाबू की तरह ही सीधी-साधी लड़की होती है जिसके लिए उसका परिवार ही उसका सब कुछ है वह अपने माता-पिता की सहायता के लिए पढ़ाई के साथ-साथ कुछ काम भी करना चाहती हैं। ज्योति लेकिन बाबू से थोड़ी-सी अलग है।

बाबू अपने मां-बाप के कहने पर चलता है जैसा वह कहते हैं वह वैसे ही करता है लेकिन ज्योति अपने सपनों को जीना चाहती है वह अपने सपने पूरे करना चाहती है उसका जो दिल चाहता है वह वही करती है उसने कभी दुनिया की फ़िक्र नहीं की। लेकिन उसके परिवार की पुरानी विचार धारा उसके सपनों के आड़े आ गई इसलिए ज्योति अपने सपने अब तक जी नहीं पा रही थी। परन्तु उसके मन में अभी आशा जगी हुई थी उसका भगवान में भी काफ़ी विश्वास था उसे यक़ीन था कि एक न एक दिन उसके सपने ज़रूर पूरे होंगे जब बाबू और ज्योति की पहली मुलाकात हुई बाबू उसे अपना दिल दे बैठा। उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गई।

ज्योति को बाबू का स्वभाव अच्छा लगने लगा वह हर वक़्त उससे बात करता उसका छोटी-छोटी चीजों में मदद करता हर वक़्त उसका ख़्याल रखना हमेशा उसे पूछना की उसने खाना खाया कि नहीं। धीरे-धीरे ज्योति भी बाबू को पसंद करने लगी थी।

फिर एक दिन बाबू ने ज्योति से अपने प्यार का इज़हार किया और ज्योति ने भी हाँ कह दी क्योंकि ज्योति को भी प्यार चाहिए था वह हमेशा अकेली रही थी अंदर से उसे कभी इतना प्यार नहीं मिला किसी से और ना ही किसी ने कभी उसकी परवाह की। बाबू का ऐसा स्वभाव प्यार भरा और परवाह करने वाला देखकर ज्योति ने उसके प्यार को स्वीकार किया और अपने प्यार की भी सहमति जताई इसी तरह दोनों एक साथ घूमते मिलते एक दूसरे से बातें करते और अपने प्यार के खुशियों के पल समेट ते रहे। प्यार में मीठी तकरार तो होती है इनके बीच की तकरार हुई पर इन्होंने एक दूसरे को समझा एक दूसरे को संभाला और हमेशा एक दूसरे का साथ दिया।

बाबू और ज्योति दोनों एक साथ कॉलेज जाते हैं एक साथ काम पर जाते जहाँ जाते हैं सदेव एक दूसरे के साथ रहते। इसी तरह खट्टी मीठी यादों के साथ दोनों ने एक साथ चार साल गुजारे, आज बाबू एक पत्रकार बन गया जिसकी काफ़ी अच्छी नौकरी है और प्रिया भी एक अध्यापिका बन गई साथ ही साथ वह अच्छा गाना भी गाती है बाबू ने उसका सपना भी पूरा करने में सहायता की गाना गाने का और अपनी आवाज़ को लोगों तक पहुँचाने का।

इतना समय साथ गुजारने के बाद दोनों के बीच में प्यार बहुत गहरा हो गया दोनों एक दूसरे के बिना अब जी नहीं सकते थे। दोनों एक दूसरे के दिल की धड़कन बन चुके थे दोनों ने सोचा कि वह अब अपने-अपने परिवार वालों को उनके रिश्ते के बारे में बताएंगे।

जब दोनों ने यह बात अपने घर में बताइ तब दोनों के ही परिवार वालों ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया इनके दोनों एक कास्ट के नहीं थे दोनों अलग-अलग कास्ट के थे उनके परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था कि उनके बच्चे उनके खिलाफ जाकर बिरादरी के खिलाफ जाकर अपनी कास्ट के खिलाफ जाकर किसी और से शादी करें।

उन दोनों के परिवार वालो ने उनका मिलना फ़ोन पर बात करना सब बंद करा दिया।

दोनो एक दूसरे के बिना रह नहीं पा रहे थे दोनों एक दूसरे की याद मैं तड़प रहे थी। दोनों एक दूसरे को मिलने के लिए बैचैन थी।

बाबू जो अपने परिवार की इतनी इज़्ज़त करता है उनके लिए कुछ भी कर सकता है उन्हें कभी दुखी नहीं देख सकता था। अपने परिवार की खातिर उसने ज्योति को भूलने का फ़ैसला कर लिया। ज्योति को अपने प्यार और भगवन पर पूरा भरोसा था। उसको विश्वास था कि वह एक न एक दिन ज़रूर बाबू के साथ होगी। इस्लिये उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। उसने बहुत कुछ किया बाबू को पाने क लिए रोज़ सुबह शाम वह भगवान् से प्रार्थना करती।

रोज़ अपने माँ बाप से कहती की उसने कभी भी उनकी कोई बात नहीं टाली किसी चीज़ के लिए उसने ना नहीं कहा बस अपनी ज़िन्दगी का फ़ैसला वह ख़ुद करना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी की उसकी ख़ुशी बाबू के साथ है और किसी के साथ नहीं।

ज्योति अकेले ही अपने प्यार के लिए लड़ी उम्मीद क़ायम रखी भगवन पर भरोसा रखा और एक दिन उसके परिवार वाले मान गए काफ़ी कुछ ज्योति ने सहा काफ़ी गिले शिकवे हुए नाराज़गी हुई लेकिन आख़िर मैं सच्चे प्यार की जीत हुई।

किसी तरह बाबू को भी ज्योति ने मना लिया उन दोनों के प्यार के वास्ते और उनके साथ को देखकर उनके परिवार वाले राज़ी हो गये इस रिश्ते के लिये। दोनों अलग कास्टे के होने के वज़ह से दोनों के परिवारों को समाज का डर था कि लोग क्या कहेंगे।

लेकिन बाबू और ज्योति को किसी चीज़ की परवाह नहीं थी।

दोनों ये बात अब समझ चुके थे की उनके प्यार के सामने कोई चीज़ बड़ी नहीं वह अपने प्यार के सहारे कोई भी लड़ाई लड़ सकते हैं और जीत सकते है।

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