हिमाचल के पहाड़ो से निकला एक बहादुर बॉक्सर, ओलिंपिक से गोल्ड मेडल की तेयारी।

हिमाचल के पहाड़ो से निकला एक बहादुर बॉक्सर, ओलिंपिक से गोल्ड मेडल की तेयारी।
बॉक्सर आशीष कुमार 

हिमाचल के मंडी के रहने वाले बॉक्सर आशीष कुमार ने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। टोक्यो में वे मिडिल वेट कैटेगरी में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। 2019 में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले आशीष ओलिंपिक में मेडल जीतकर अपने पिता को समर्पित करना चाहते हैं। उनके पिता का पिछले साल बीमारी की वज़ह से निधन हो गया था। आशीष के पिता चाहते थे कि वे ओलिंपिक मेडल जीतें अपने राज्य ओर अपने देश का नाम रोशन करे।

मेरा बड़ा भाई और चाचा का लड़का बॉक्सिंग की ट्रेनिंग करने के लिए जाते थे। मैंने भी उनको देखकर जाना शुरू किया और मुझे यह खेल भा गया। इसके बाद मैंने इसमें ही करियर बनाने की ठानी।

एक प्रसिद्ध समाचार पत्र में भेंटवार्ता ओर अधिक जानकारी।

ओलिंपिक को लेकर आप कितना तैयार हैं? किस तरह से तैयारी कर रहे हैं।

हमारी तैयारी बेहतर चल रही है। मैं ओलिंपिक मेडल जीतकर अपने पिता को समर्पित करना चाहता हूँ। मैं अपनी कमजोरियों को दूर कर रहा हूँ। इसके अतिरिक्त अपने बराबर के वज़न के मौजूद खिलाड़ियों के वीडियो देखकर उनकी कमजोरियों और मज़बूत पक्ष के आधार पर ट्रेनिंग की नीति तैयार की है।

ट्रेनिंग में किन पहलुओं पर फोकस किया?

हम ट्रेनिंग में फिलहाल मिक्सपंच पर ज़्यादा फोकस कर रहे हैं। टॉप खिलाड़ियों के अटैक को किस तरह डिफेंड करना है, उस पर भी फोकस है।

आप अपने वज़न के बराबर की कैटेगरी में किस बॉक्सिंग खिलाड़ी बड़ी चुनौती मानते हैं?

मिडिलवेट काफ़ी लोकप्रिय वेट है और इसमें काफ़ी कॉम्पिटीशन है। ऐसे में मैं किसी बॉक्सर को कमजोर नहीं समझ रहा हूँ। हाँ एक क्यूबा के ओलिंपियन बॉक्सर हैं और एक रसियन बॉक्सर हैं जो वर्ल्डकप मेडलिस्ट हैं। ये काफ़ी क्लोज फाइट दे सकते हैं।

क्या ओलिंपिक खेल से पहले कहीं बाहर जाकर ट्रेनिंग की भी योजना है?

जी इटली में ट्रेनिंग की योजना तैयार की गई है। हम इटली में ट्रेनिंग करेंगे, उसके बाद वहाँ से डायरेक्ट टोक्यो के लिए रवाना होंगे।

आप बॉक्सिंग में कैसे आए?

मेरे परिवार का खेलों से नाता रहा है। मेरे पापा कबड्डी के स्टेट लेवल के खिलाड़ी रहे हैं। जबकि मेरा बड़ा भाई और चाचा का लड़का बॉक्सिंग की ट्रेनिंग करने के लिए जाते थे। मैंने भी उनको देखकर जाना शुरू किया और मुझे यह खेल भा गया। इसके बाद मैंने इसमें ही करियर बनाने की ठानी।

टोक्यो ओलिंपिक खेल एक वर्ष की देरी से हो रहा है? आप इसे किस तरह देखते हैं?

मैं इसे एक तरह से अपने लिए फायदे के रूप में देख रहा हूँ। हमें वेट ट्रेनिंग करने का मौका मिल गया। अपनी कमियों को दूर करने के लिए समय मिल गया। इस बीच हमें कुछ कॉम्पिटीशन भी मिल गए। कई अच्छे बॉक्सरों के साथ हमें फाइट करने का मौका मिल गया और अपनी तैयारी को जांचने का मौका मिल गया।

कोरोना की वज़ह से ट्रेनिंग को लेकर किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा‌? उस दौरान आपने किस तरह से तैयारी की?

कोरोना की वज़ह से जब लॉकडाउन हुआ तो शुरुआत में ट्रेनिंग को लेकर काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। कैंप स्थगित हो चुके थे। हम घर आ चुके थे। घर पर इक्विपमेंट नहीं थे। इसलिए शुरुआत में फिटनेस को मेंटेन रखना ज़्यादा ज़रूरी था। इसलिए सबसे पहले मैंने अपनी फिटनेस को लेकर घर पर ही एक्सरसाइज करना शुरू किया।

बॉक्सिंग में उत्तर पूर्व राज्यो और हरियाणा का दबदबा रहा? आप हिमाचल राज्य से हैं, ओर आपको किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा‌‌?

जी मैं हिमाचल प्रदेश के छोटे से शहर मंडी से हूँ। जब मैं राष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग के लिए रिंग पर उतरा तब लोगों की मानसिकता थी कि पहाड़ में कहाँ बॉक्सिंग होती है? पहाड़ी लड़का क्या कर सकता था। वहीं हरियाणा और नॉर्थ ईस्ट सहित अन्य राज्यों के बॉक्सरों को लगता था कि वह आसानी से हरा सकते हैं। लेकिन जब रिंग पर मैंने हरियाणा और अन्य राज्यों के बॉक्सरों को धूल चटाना शुरू किया तो उन्हें हमारे पहाड़ की ताकत का अंदाजा लगा। मैं चाहता हूँ कि ओलिंपिक में मेडल जीतकर अपने राज्य का नाम रोशन करूं।

क्या टोक्यो ओलिंपिक से कुछ महीने पहले ही आपको कोरोना संक्रामण था?

जी टोक्यो ओलिंपिक से कुछ महीने पहले ही मैं कोरोना संक्रमित हो गया था। तब मैं देश के बाहर टूर्नामेंट खेलने गया था। वहाँ पर मैं पॉजिटिव पाया गया था। मैं वहाँ पर करीब एक महीने अकेला रहा। मैं चिंतित था कि किस तरह से तैयारी होगी और ओलिंपिक भी नज़दीक है। लेकिन एक महीने में रिकवर हो गया था। मुझे जहाँ रखा गया था, वहाँ मैं छत पर जाकर एक्सरसाइज और पंच की ट्रेनिंग कर सकता था। लेकिन मैं करीब एक महीने प्रॉपर ट्रेनिंग से दूर रहा। भगवान का शुक्रगुजार हूँ कि मैं जल्दी ठीक हो गया और ओलिंपिक में जाने का मेरा सपना पूरा हो रहा है। अब देश के लिए मेडल जीतना लक्ष्य है।

ओलिंपिक से पहले एशियन चैंपियनशिप हुई? यह तैयारी के हिसाब से कितना फायदेमंद रहा?

ओलिंपिक से पहले एशियन चैंपियन होना काफ़ी फायदेमंद रहा। इस चैंपियनशिप में ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके बॉक्सरों के साथ खेलने का मौका मिला। ओलिंपिक से पहले अपने आपको परखने का भी मौका मिल गया। इसमें यह भी पता चला कि हमारी तैयारी में कहाँ कमी है और हमें किन चीजों पर और फोकस करना है।

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