अफगानिस्तान मे अमरीका सैनिको की वापसी के बाद तालिबान संगठन का प्रभाव हुआ भारी।

अफगानिस्तान मे अमरीका सैनिको की वापसी के बाद तालिबान संगठन का प्रभाव हुआ भारी।
अफगानिस्तान मे अमरीका सैनिको की वापसी के बाद तालिबान संगठन का प्रभाव हुआ भारी।


अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं की वापसी के साथ ही दिन प्रतिदिन तालिबान के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उत्तरी अफगानिस्तान मे चल रहे कुछ विदेशी वाणिज्यिक दूतावासों के बंद होने का सिलसिला शुरू हो चुका हैं। मंगलवार को अधिकारियों और कुछ रिपोर्टों में इस बात की जानकारी दी गई है। जबकि उत्तर अफगानिस्तान से लगी ताजिकिस्तान सीमा पर आरक्षित तजाकी सैनिकों को सुरक्षा में सतर्क रहने के लिए बुलाया जा रहा है।

समाचारों के अनुसार उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान जिस गति से उत्तरी अफगानिस्तान में आगे बढ़ रहा है उससे कुछ देशों को अपने वाणिज्यिक दूतावास बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कुछ दिन पहले  दोहा से तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने विदेशियों को अफगानिस्तान छोड़कर बाहर चले जाने की धमकी भी दी थी। उत्तरी क्षेत्र  बल्ख प्रांत की राजधानी और अफगानिस्तान के चौथे बड़े शहर में एक शहर मजार-ए-शरीफ में तुर्की और रूस के दोनों वाणिज्य दूतावासों के बंद होने के भी समाचार प्राप्त हुए है।

  • ताजिकिस्तान सीमा को मज़बूत करने के लिए 20 हज़ार सैनिकों को तेनात किया।
  • रूस और तुर्की के वाणिज्य दूतावास बंद होने के भी समाचार मिले हे।
  • ताजिकिस्तान अभी तक तालिबन से कोई झड़प नहीं हुई।
  • अफगानी व्यवसायी चिंता में हें।
  • अफगानिस्तानी सैनिकों के मोर्चा छोड़कर चले जाने के बाद वहाँ तालिबान की गतिविधियाँ तेज हुई।

ताजिकिस्तान सीमा को मज़बूत करने के लिए 20 हज़ार सैनिकों को तेनात किया।

जानकारी के अनुसार ईरान ने भी यहाँ अपने वाणिज्य दूतावास में गतिविधियाँ सीमित कर दी हैं। इसके साथ ही बल्ख प्रांत की प्रांतीय राजधानी अपेक्षाकृत शांत है। जबकि ताजिकिस्तान ने उसके देश में एक हज़ार से भी अधिक अफगानिस्तान सैनिकों के तालिबान से भी भागकर आने की पुष्टि की गयी है। इस को ध्यान में रखते हुए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने सीमा को मज़बूत करने के लिए 20 हज़ार सैनिकों को भेजने का आदेश जारी कर दिया है।

रूस और तुर्की के वाणिज्य दूतावास बंद होने के भी समाचार मिले हे।

अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत में प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता मुनीर फरहाद ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि भारत समेत उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान और पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावासों ने राज्य में अपनी सेवाएँ कम कर दी हैं। उन्होंने कहा कि तुर्की और रूस ने अपने वाणिज्य दूतावास बंद कर दिए हैं और उनके कुछ कूटनीतिक शहर छोड़कर चले गए हैं। रूस में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने यहाँ के घटनाक्रम पर चिंता जताई है। हालांकि उनकी योजना अपने पूर्व गणराज्य की मदद के लिए सेना भेजने की नहीं है।

ताजिकिस्तान अभी तक तालिबन से कोई झड़प नहीं हुई।

ताजिकिस्तान से प्राप्त समाचारो में बताया गया है कि वहाँ की सरकार ने अफगानिस्तान सैनिकों को अभी तक मानवीय आधार पर सीमा पार उनके देश मे आने की आज्ञा जारी रक्खी गई है परन्तु इसके साथ ही ताजिक पक्ष की सीमा चौकियों पर देश के सेन्य बलों का नियंत्रण है। ताजिक पक्ष की तरफ़ से तालिबान से कोई भी झड़प नहीं हुई है। परन्तु देश की सीमाओं पर कोई ख़तरा नहीं रहे इस कारण ताजिक सरकार ने अपने दक्षिणी इलाके में सेना तैनाती बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए हैं।

अफगानी व्यवसायी चिंता में हें।

उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान की लगातार बदते प्रभाव के कारण यहाँ के लोगों में भय स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। पिछली बार तालिबानी शासन (1996 से 2001) में कई व्यवसायों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इनमें ब्लूटी पार्लर, पतंगों की दुकान, फैंसी हेयर सैलून और कबूतर रेसिंग शामिल थे।

अफगानिस्तानी सैनिकों के मोर्चा छोड़कर चले जाने के बाद वहाँ तालिबान की गतिविधियाँ तेज हुई।

अब इन व्यवसायों से जुड़े छुटपुट व्यवसायी फिलहाल तालिबान की बढ़त से काफ़ी चिंता में दिखाई दे रहे हैं। समाचारो के अनुसार उत्तरी अफगानिस्तान में अफगानिस्तानी सैनिकों के मोर्चा छोड़कर चले जाने के बाद वहाँ तालिबान की गतिविधियाँ में तेज़ी होनी शुरू हो चुकी हैं और रातों-रात उन्होने अफगानिस्तान के कई जिलों पर कब्जा कर लिया है।

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