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| अफगानिस्तान मे शांति वार्ता के प्रयास, 90 प्रतिशत लोगों ने देश के मौजूदा संविधान में आस्था दिखाई हे। |
अफगानिस्तान मे शांति बहाली के लिए फिर से वार्ता को दोनों पक्षो (सरकार ओर तालिबन) के बीच होनेवाली नई कोशिशों के बीच जारी हुए एक ताजा जनमत सर्वेक्षण ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। इस सर्वे द्वारा आए परिणामो को तालिबान के लिए एक दुखद समाचार समझा गया है। इस स्थानीय सर्वेक्ष्ण एजेंसी पीस एंड डेमोक्रेसी (PAD) के द्वारा कराए गए इस महतावपूर्ण सर्वे से यह सामने आया कि अफगानिस्तान के 83 प्रतिशत नागरिक यह चाहते हैं कि अफगानिस्तान में इस्लामी गणतांत्रिक व्यवस्था लागू रहे, परन्तु 90 प्रतिशत लोगों ने देश के मौजूदा संविधान में आस्था दिखाई हे। विचार करने वाली बात यह है कि तालिबान इस समय की सरकार ओर संविधान को स्वीकार नहीं करते है। वह देश में पूर्ण इस्लामी व्यवस्था मांगते है।
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने यह आवश्यक बयान दिया कि वे बगेर किसी चुनाव के सत्ता किसी को नहीं सोपने वाले । विदेश नीति के संबंधी एक सेमीनार में उन्होंने बताया कि यदि तालिबान आम चुनाव करवाने के लिए तैयार हो जाए, तो वे भी आम चुनाव की मंजूरी देने के लिए तुरंत तेयार हो जाएंगे।
- महिलाओं के प्रति तालिबान की विचार धारा आज भी नहीं बदली है।
- राष्ट्रपति गनी बगेर किसी चुनाव के सत्ता किसी को नहीं सोपने वाले।
- अफगानिस्तान में बिना नया चुनाव कराए राष्ट्रपति गनी अपना पद किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगे।
- तालिबन की मांग हे की अफगानिस्तान में केवल इस्लामी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
महिलाओं के प्रति तालिबान की विचार धारा आज भी नहीं बदली है।
अफगानिस्तान मे हुए इस पी ए डी के सर्वे अनुसार करीब करीब 40 हजार नागरिकों से बातचीत की गई। इनमेसे अधिकांश नागरिकों ने इस बात को स्वीकार किया कि तालिबान के पास कोई योजना नहीं हे आम नागरिक को उनके लक्षय के बारे मे जेसे अफगानिस्तान पर शासन करने की कोई योजना हे या नहीं कुछ भी जानकारी नहीं हे। अधिकांश नागरिकों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा तालिबान पर दबाव बनाना ज़रूरी हे, एस करने से शांति समझौते को मानने के लिए तालिबन को मजबूर हो जाएगा। इस सर्वे में शामिल 96 प्रतिशत नागरिकों ने बताया कि महिलाओं के बारे में तालिबान की विचार धारा आज भी नहीं बदली है। 77 प्रतिशत नागरिकों ने बताया कि वे बगेर चुनाव के किसी अंतरिम व्यवस्था को अफगानिस्तान के ऊपर थोपने का समर्थन नहीं करना चाहते हें।
राष्ट्रपति गनी बगेर किसी चुनाव के सत्ता किसी को नहीं सोपने वाले।
अफगानिस्तान मे ये सर्वे रिपोर्ट पिछले कुछ दिनो मे ही जारी हुई। विचार करने वाली बात यह है कि मास्को में को आयोजित हो रहे अफगानिस्तान शांति सम्मेलन का कार्यक्रम कुछ दिन पहले ही घोषित हुआ था। ठीक उस से पहले आई इस सर्वे रिपोर्ट को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के लिए अच्छे समाचार के रूप में देखा जा रहा है। पिछले सप्ताह ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने यह आवश्यक बयान दिया था कि वे बगेर चुनाव कराये सत्ता किसी को नहीं सोपने वाले। विदेश नीति के संबंधी एक सेमीनार में उन्होंने बताया कि यदि तालिबान आम चुनाव करवाने के लिए तैयार हो जाए, तो वे भी आम चुनाव की मंजूरी देने के लिए तुरंत तेयार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि 42 साल के युद्ध के बाद अब अफगानिस्तान के लोगों को विशव के “सभ्य देशों के अनुसार” शांति से रहने का अधिकार है। राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस बयान को इस बात का भी संकेत देते हुए माना जा रहा है कि यदि बिना किसी चुनाव के किसी भी अंतिरम सरकार को राजधानी काबुल में कब्जा करने की कोशिश हुई, तो वो इसका पूरे ज़ोर ओ शोर से विरोध करेंगे।
अफगानिस्तान में बिना नया चुनाव कराए राष्ट्रपति गनी अपना पद किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगे।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी के कड़े रुख को इस बात से भी जोड़ कर देखा जा रहा है कि रूस की प्राथमिकता पर आयोजित मास्को वार्ता में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि के तौर पर देश की हाई काउंसिल फॉर नेशनल रिकॉन्सिलिएशन पार्टी के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला को भी बेठक मे भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। अब्दुल्ला अब्दुल्ला अफगानिस्तान की राजनीति में राष्ट्रपति गनी बराबर के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में हुआ मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों नेताओं के मध्य हुआ था। अमेरिका ने भी अफगान शांति प्रक्रिया की जो नई योजना घोषित की है, उसमें अब्दुल्ला अब्दुल्ला को स्थान दिया गया है। इसे इस बात का संकेत माना गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब्दुल्ला को गनी के बराबर मान्यता दे रहा है। इसी के बीच राष्ट्रपति गनी ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि अफगानिस्तान में बिना नया चुनाव कराए वे अपना पद किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगे।
तालिबन की मांग हे की अफगानिस्तान में केवल इस्लामी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी के प्रवक्ता वहीद उमर ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रपति गनी के बयान का अर्थ यह है कि वे अपना कार्यकाल पूरा होने के पहले भी गद्दी छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन ऐसा वे बिना नया चुनाव हुए नहीं करेंगे। तालिबान ने राष्ट्रपति गनी के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति गनी ने ये बयान शांति प्रक्रिया में बाधा डालने के लक्ष्य से दिया है। विचार करने वाली बात यह है कि तालिबान इससे पूर्व पहले भी कह चुका है कि अफगानिस्तान में केवल इस्लामी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। विश्लेषण कर्ताओं के अनुसार अभी दिये गए ताजे बयान इस बात की ओर संकेत कर रहे कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना और नई वैकल्पिक व्यवस्था लागू करना बहुत कठिन है।

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