किसान आंदोलन पिछले दो सप्ताह से भी अधिक से समाचारो की सुर्खियों मे हे , देश का आम नागरिक भी चिंता मे हे की इसका क्या कारण हे । भारत सरकार से सभी विभाग इस समस्या को सुलझाने मे लगे हे ओर समस्या गंभीर होकर उलझती जाती हे, फिर भी सरकार हर संभव प्रयास कर रही हे । किसान नेताओ की मांगे दिन प्रतिदिन बदलती जाती हे इसी कारण यह आंदोलन दिशाहीन होता जा रहा हे ओर अब कुछ राजनीतिक दल भी इसको समर्थन दे रहे हे ओर इसका राजनीतिक करण होता दिखाई देता हे । कुछ किसान मंचो से बुध्द्धिजीवी के नाम पर जिनके विरुद्ध देश द्रोह का मामला हे उनको रिहा करने की मांग की गई जिस से सिद्ध होता हे की इस आंदोलन मे अराजक तत्व भी सम्मलित हो रहे हे ।
पहली मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) थी जो सरकार ने मान ली हे ।
अबकी बार किसानो की उपज सस्ते मे बेचनी पड़ी तो किसान को लगा की कहीं न कहीं केंद्र सरकार के करण हो रहा हे जबकि इस कोरना महामारी के चलते अच्छे से अच्छे उद्योग सड़क पे आ गए हे । महंगे से महँगा सामान सस्ते मे बिक रहा हे बेरोजगारी बढ़ गई हे । इसी करण किसानो को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाया ओर सरकार ने जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) रक्खा था उसे कम मे उनको अपनी उपज बेचनी पड़ी । किसानो की पहली माग थी की हमे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गैरंटी दी जाए जबकि ठीक इसी प्रकार का एक कानून हे मजदूरों के लिए जिसे हम न्यूनतम मजदूरी कानून कहते हे ओर इसके लिए कड़े प्रावधान हे फिर भी मजदूर को आज सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती । फिर भी सरकार ने किसानो की लिखित मे दे दिया यदि इस मूल्य से कम मे खरीदने वाले के वीरुध सखत कार्यवाही की जाएगी ।
अबकी माग केंद्र सरकार किसानो के लिए बनाए कानून वापिस ले रद्द करे ।
भारत सरकार ने पिछले कुछ माह पहले किसानो के हित कुछ अच्छे नियम बनाए थे जिनकी मांग पिछले काफी वर्षो से हो रही थी हर राजनीनिक पार्टी इसका वादा करके चुनाव जीत लेती थी मगर लागू कोई नहीं कर रहा था । किसानो की इस पुरानी माग पर अबकी बार निर्णय लिया गया ओर इसको लागू करते हुए कानून बना दिया गया । भारत का हर पढ़ा लिखा नागरिक का कहना हे की इस से किसानो का लाभ हे परन्तु क्योंकि अब इस आंदोलन मे राजनीति भी हो रही हे ओर किसानो को भड़का कर मांग की जा रही की यह तीनों कानून वापिस लिए जाएँ या इन्हे रद्द करे । पत्रकारों के प्रशन पूछने पर किसान नेता इसका उत्तर नहीं दे पा रहे हें की इस नियमों से किस प्रकार की हानी किसान को होगी । इन तीनों कानूनों की प्रतियाँ उपलभ्द हे कोई भी नागरिक पढ़ कर मालूम कर सकता हे की इसमे किसानो की हानी कहाँ हे , यदि कोई विषय नहीं हे ओर आंदोलन हो रहा हे तो विपक्ष की इसमे पूरी की पूरी भूमिका हे ।

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